Monday 29 December 2014

 
जागते रहो

क्या आप जानते हैं कि 

  • यदि आप किसी ऐसे  परिवार को जानते हैं जिसका कोई बैंक खाता नहीं है तो आप 1800 1800 124 पर फ़ोन करके उसका खाता प्रधानमन्त्री जन धन योजना के तहत किसी भी नजदीकी बैंक में खुलवाने में मदद कर सकते हैं । 

  • यदि 26  जनवरी  से पहले आप पहली बार बैंक खता खोल रहे हैं तो आपको ३०,००० रूपये का जीवन बीमा का लाभ मिलेगा । 

  • इस योजना के तहत खता खोलने वालों को एक लाख रूपये का दुर्घटना बीमा किया जाता हैं । 

  • आप किसी भी एटीएम से अपने रूपये कार्ड से पैसा निकल सकते हैं । 

  • कोई न्यूनतम राशि हमेशा बैंक में रखने की जरुरत नहीं है लेकिन यदि आप अपनी जमा राशि बैंक में रखते हैं तो आप अपने रूपये कार्ड का इस्तेमाल कर पाएंगे । 

Monday 8 December 2014

मालगुडी टिफ़िन सेंटर के कुछ सात्विक विचार
हर आदमी चाहता है कि  रोज वह शादी पार्टी में जैसा बना खाना खाए लेकिन विश्वास कीजिये कि आप प्रतिदिन वैसा शाही खाना नहीं खा सकते है । ऐसा नहीं है कि हम और आप रोज ऐसा खाना खरीद नहीं सकते हैं बल्कि हमें कुछ दिनों लगातार खाने के बाद ऐसा खाना अच्छा ही नहीं लगेगा । विश्वाश न हो तो आजमा के देख लीजिये । प्रतिदिन मसालेदार और देशी घी में बना हुआ खाना पचाने के लिए एक मानव शरीर को जो कुछ करना चाहिए वह सब कुछ आजकल की भागदौड़ और आराम पसंद जीवनचर्या में संभव नहीं है । कलयुग की जिंदगी का मतलब भी हजारों लाखों लोग नहीं जानते हैं ।  कलयुग में सब कुछ व्यावसायिक दृष्टि से किया जाता है । शहरों में तो बच्चा पैदा करने से लेकर अंतिम क्रियाकर्म में व्यवसायिक हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है । करोड़ों लोग इस अमूल्य और दुर्लभ मानव शरीर का वास्तविक आनंद भी नहीं ले पाते हैं । न तो इस अमूल्य मानव शरीर की वास्तविक आंतरिक देखरेख कर पाते हैं और न ही इसका भरपूर उपयोग कर पाते हैं । न तो जिंदगी का वास्तविक उद्देश्य समझ पाते हैं और न ही इसे ऐसे काम में लगा पाते हैं कि लोग आपको सदियों तक याद कर सके। समाज के कल्याण की तो बात छोड़िये, खुद अपना भी कल्याण नहीं कर पाते हैं । प्रकृति की सुंदरता का अहसास भी कर पाएं तो गनीमत समझिए। 

मनुष्य को न केवल दूसरों की ग़लती  से सीखना चाहिए बल्कि प्रकृति में व्यापत नदी, झड़ना, पहाड़, वृक्ष, फूल, और पेड़ पौधों से भी बहुत कुछ सीखना चाहिए। कलयुगी शिक्षा के साथ साथ अलभ्य मनुष्य देह की चिरंजीवी और तरुणावस्था के उपाय भी हमें अपने बच्चों और समाज के अन्य वर्गों को बताना चाहिए जो आसानी से इसके बारे में नहीं जान पाएंगे। 

चौपाल और चौक पर बैठकर राजनितिक और सामाजिक गपशप के आलावा हमें अपने सेहत के अनुभवों और उसकी बेहतरी के लिए उपायों पर भी विचार करना चाहिए।